Harmful effect of mobile selfie हिंदी में

Harmful effect of mobile selfie हिंदी में

हेलो दोस्तों। आज हम बात करेंगे मोबाइल सेल्फी के बारे में। Harmful effect of mobile selfie जी हाँ दोस्तों आज का आर्टिकल बहुत ही जबरदस्त होने वाला है क्योंकि सेल्फी शब्द सुनने में है तो बहुत छोटा सा लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब तक पूरे विश्व में सेल्फी लेने के चक्कर में जितनी भी मौते हुई हैं उनमें से 50 प्रतिशत आंकड़ा सिर्फ भारत से हैं ऐसे में आप सभी के लिए यह जान लेना बहुत ही जरूरी हो जाता है कि आखिर कैसे सेल्फी लेने की सुरवात हुई और आज यही सेल्फी हमारे लिए जानलेवा बनती जा रही हैं। 


कहि आप भी सेल्फी एडिक्शन का शिकार तो नही बन गए हैं? आज हम इस बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं क्योंकि सेल्फी का नशा और नशो से कितना ज़्यादा खतनाक है इस बात का अंदाजा आप इस चीज से लगा सकते हैं कि जब कोई इंसान किसी भी प्रकार का नशा करता है तो उसे यह मालूम होता हैं कि वो क्या चीज ले रहा है और उसके क्या साइड इफेक्ट हों सकते हैं लेकिन सेल्फी के मामले में यह बहुत ज़्यादा खतरनाक इसलिए हो जाता है क्योंकि इसमें इंसान को यह मालूम ही नहीं चलता है कि उसको Selfi Addiction हो चुका है।
        

Selfi लेने की सुरवात कैसे हुई और Selfi की पहचान कैसे बनी?

दुनिया की पहली सेल्फी सन 1839 में रॉबर्ट कोंनेलियस ने ली थी। जब सन 1900 में कैमरा बनाने वाली मशहूर कंपनी कोडेक ने बॉक्स ब्राउनी नामक एक ऐसा कैमरा बनाया जिसका इस्तेमाल आम लोग कर सकते थे इस कैमरे की मदद से लोग शीशे में दिखने वाले अपने ही प्रतिबिम्ब को सेल्फी के रूप में क्लिक कर सकते थे यानी खुद की तस्वीर ले सकते थे इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सेल्फी लेने का शौक बहुत पुराना है।


लेकिन सेल्फी शब्द की उत्पत्ति सन 2003 में आस्ट्रेलिया में हुई। ऑक्सफ़ोर्ड डिक्सनरी के अनुसार 2003 में जब नाथन होप नामक व्यक्ति को जमीन पर गिरने की वजह से चोट लगी और उसने अपने चोटिल चेहरे की फ़ोटो खीच कर पोस्ट कर दी उसे सेल्फी का नाम दिया गया।ऑक्सफ़ोर्ड डिक्सनरी में साल 2013 में सेल्फी को वर्ड ऑफ द ईयर का दर्जा दिया गया था।




Selfi addiction क्यो हो जाता है?

क्या आप दिन भर में कम से कम 6 सेल्फी क्लिक करते हैं? और क्लिक करके सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं? अपने क्लिक किए गए सेल्फी पर लाइक और कमैंट्स आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं? अगर आप ऐसा करते हैं तो यकीन मानिए आप सेल्फी एडिक्शन का शिकार बन चुके हैं।


जब भी कोई इंसान सेल्फी लेता है तो उसके दिमाग में डोपामीन हार्मोन रिलीज होता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ह्यूमन नेचर के अनुसार हर इंसान अपनी तस्वीर देखकर खुश होता है। जैसे-जैसे आप सेल्फी लेते जाते हैं दिमाग डोपामीन हार्मोन को रिलीज करता रहता है। 


अगर आप दिनभर में 1 या 2 सेल्फी लेते हैं तो इसमें कोई समस्या नही है यह बिल्कुल साधारण है। लेकिन आप इससे कहि ज़्यादा सेल्फी लेते हैं तो ऐसे में आपका दिमाग बार-बार डोपामीन हार्मोन को रिलीज करने लगता है और फिर धीरे-धीरे दिमाग को डोपामीन हार्मोन की लत लग जाती है इस हार्मोन से दिमाग और शरीर को आराम मिलता है। 


यही कारण है कि दिमाग को बार-बार डोपामीन हार्मोन की चाह होने लगती है। तब आपका दिमाग ही आपको यह फ़ोर्स करने लगता है कि आप अपने पॉकेट से अपना मोबाइल निकाले और सेल्फी लेते रहे और इस तरह हमे पता चले बिना ही हम सेल्फी एडिक्शन का शिकार बन जाते हैं।
           



Selfi लेना क्यो खरतनाक समझा जाता है?

जब सुरुवात में सेल्फी ली गई होगी तब किसी ने भी यह नही सोचा था कि सेल्फी लेते वक्त किसी की मौत भी हो सकती है या इससे किसी भी प्रकार की बीमारी हो सकती है। 


लेकिन आज हमें यह देखने को मिल रहा है कि आए दिन सेल्फी लेने के चक्कर में लोग अपनी जान गवा रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार सेल्फी लेते वक्त हर वर्ष सबसे अधिक मौते भारत और रूस में होती है। उनमे मरने वाले अधिकतर 18 से 24 वर्ष की उम्र के है।


अब आप खुद अंदाजा लगाइये हमारा यूथ क्या कर रहा है और किस दिशा में जा रहा है। सुरक्षा उपायों को नजर अंदाज करके ली जाने वाली सेल्फी हमारी जान भी ले सकती है जरूरत से ज़्यादा सेल्फी लेने का शौक हमे बीमार बना सकता है। 


ज़्यादा सेल्फी लेने से सेल्फी एल्बो नाम की बीमारी हो सकती है यह एक ऐसी बीमारी है जिसमे ज़्यादा सेल्फी लेने से कोहनी में सूजन आ जाती है यह समस्या कलाई, हाथों और कंधों की मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ने की वजह से आती है।

इसके अलावा ज़्यादा सेल्फी लेने से सेल्फाइटिस नामक बीमारी का भी खतरा बढ़ जाता है यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी बिना सेल्फी लिए रह नही पाता है मतलब उस व्यक्ति को सेल्फी लेने की लत लग जाती है।



Selfi addiction से खुद को कैसे बचाए?
आज के समय हम देखते है कि सेल्फी लेना बहुत ही आम बात हो गई हैं इसका प्रमुख कारण है जेब में रखा आपका मोबाइल फोन। आपकी जानकारी के लिए हम आपको पहले ही बता दें कि सेल्फी एडिक्शन से खुद को पूरी तरह दूर कर पाना नामुमकिन है लेकिन इसको कम जरूर किया जा सकता है। 


इसके लिए जरूरी है कि दिन में कम से कम सेल्फी ले। अनावश्यक ली जाने वाली सेल्फी से बचे। दिन में कम से कम अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करे। सोशल मीडिया साइट्स पर अपनी सेल्फी क्लिक करके पोस्ट करने की आदत को खुद से दूर रखें। 


आखरी बात-
सेल्फी लेते वक़्त सुरक्षा नियमो का पूरा ध्यान रखें। सेल्फी लेने में किसी भी प्रकार का जोखिम ना उठाए क्योंकि हो सकता है आपके द्वारा ली जाने वाली सेल्फी आपके जीवन की अंतिम सेल्फी बन जाए।


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